Ayurved के अनुसार मानवशरीर |
आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर की कोशिकीय पोषण पद्धति: आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर की रचना 63 खराब से ज्यादा छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर होती है। कोशिकाओं से मिलकर बनते हैं टिशु व टिशु से मिलकर बनते सभी ऑर्गन , जैसे किडनी ,लीवर, हार्ट, पेनक्रिया इत्यादि। और इन सभी ऑर्गन से मिलकर बनता है हमारा मानव शरीर।
जैसे भवन के निर्माण में उसकी सबसे छोटी इकाई यानी कि ईट अच्छी क्वालिटी की होनी चाहिए वैसे ही एक स्वस्थ इकाई यानी की कोशिका स्वस्थ होना चाहिए।हमारी खराब खाने की आदतें, हमारे कोशिकाओं का पोषण नहीं कर पाती, जिसके वजह से हमारा प्रतिरक्षण प्रणाली कमजोर हो जाती है और हम बीमार पड़ जाते हैं।संतुलित पोषण एवं बेहतर समावेश की कार्य पद्धति को सबसे अच्छा बनाता है।
यदि एक पेड़ के पत्ते तोड़ ले जाएं या उसके सारे फल तोड़ ले जाएं तो क्या पेड़ को कोई फर्क पड़ेगा? आपका जवाब होगा नहीं। लेकिन यदि उस पेड़ की जड़ काट दी जाए तो अब उसे पेड़ का क्या होगा। ऐसे ही कोशिकाएं हमारे शरीर की जड़ होती है।
शरीर के अंदर ज्यादातर बीमारियां कोशिकाओं के कमजोर हो जाने पर आती है। कोशिकाओं को स्वस्थ रखने के लिए चाहिए होता है शुद्ध हवा पानी वह सही मात्रा में पोषक तत्व, जो कि 46 प्रकार के होते हैं। जब यह पोषक तत्व हमारे कोशिकाओं को नहीं मिलते हैं,तब हमारी कोशिकाएं धीरे-धीरे कमजोर होना शुरू हो जाती है। जिसके कारण हमारा शरीर अलग-अलग बीमारियों से जूझना शुरू हो जाता है।
आयुर्वेद में मानना है कि 80% हमारे अच्छे स्वास्थ्य की निशानी हमरा शुद्ध व सही पौष्टिक भोजन होता है। आयुर्वेद के अनुसार इस बात को अच्छे से समझे कि हमारा पौष्टिक भोजन ही हमारे शरीर की सर्वोत्तम दवाई है। इसलिए कहा जाता है की हम अपने भोजन को अपनी दवाई बनाए ना कि दवाइयां को अपना भोजन।
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