आयुर्वेद के अनुसार डेंगू क्या है? के Ayurved अनुसार "दण्डक ज्वर" के रूप में जाना जाता है जो उष्णकटिबंधीय रोग है। डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है और शरीर में पित्त और कफ दोषों के असंतुलन के कारण होता है।
डेंगू कैसे होता है?
डेंगू विषाणु चार प्रकार के होते हैं - DEN-1, DEN-2, DEN-3, और DEN-4। जब एडीज एजिप्टी मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति का रक्त चूसता है, तो वह मच्छर संक्रमित हो जाता है। यह मच्छर फिर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो डेंगू विषाणु उस व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है। Ayurved के अनुसार, इस विषाणु के संक्रमण से शरीर में दोषों का असंतुलन होता है, जिससे ज्वर (बुखार) उत्पन्न होता है।
इसके लक्षण क्या हैं?
डेंगू के लक्षण संक्रमण के 4-10 दिनों के बाद प्रकट होते हैं। मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
- *उच्च बुखार
*सिरदर्द
-* जोड़ों में दर्द (इसे "हड्डीतोड़ बुखार" भी कहा* जाता है)
*आंखों के पीछे दर्द
*मतली और उल्टी
- *त्वचा पर चकत्ते
- *थकान
*गंभीर मामलों में, नाक या मसूड़ों से रक्तस्राव, त्वचा के नीचे रक्तस्राव (डेंगू हेमोरेजिक फीवर) और अंगों की विफलता हो सकती है।
डेंगू से बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
डेंगू से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां अपनाई जा सकती हैं:
1. **मच्छर नियंत्रण:** अपने घर और आस-पास के क्षेत्र को साफ रखें। पानी को जमा न होने दें क्योंकि यह मच्छरों के प्रजनन का स्थल बनता है। पानी की टंकियों, फूलदानों, और अन्य पानी जमा करने वाली जगहों को ढक कर रखें।
2. **मच्छर प्रतिरोधी:** मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी, मच्छर निरोधक क्रीम और स्प्रे का उपयोग करें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
3. **साफ-सफाई:** व्यक्तिगत साफ-सफाई पर ध्यान दें। शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें ताकि मच्छर काटने की संभावना कम हो।
4. *Ayurvedic उपाय:** तुलसी के पत्तों का सेवन करें, क्योंकि यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक होता है। नीम का तेल या कपूर का उपयोग भी मच्छरों को दूर रखने में कारगर हो सकता है।
5. **पानी की नियमित जांच:** घर के आस-पास खुले पानी के स्त्रोतों की नियमित जांच करें और उन्हें साफ रखें।
6. **शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाना:** आयुर्वेद में प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों और औषधियों का प्रयोग किया जाता है जैसे गिलोय, आंवला, अश्वगंधा आदि। इनका नियमित सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता हैं।
Ayurvedic डेंगू के Upachar के लिए कुछ प्रमुख जड़ी-बूटियों और नुस्खों का प्रयोग किया जाता है:
1. गिलोय (टिनोस्पोरा कार्डिफोलिया):यह एक प्रमुख औषधि है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। गिलोय के रस का सेवन डेंगू के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।
2. पपीते के पत्तों का रस: यह प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में सहायक माना जाता है। इसे सीधे पत्तों को पीसकर या उबालकर लिया जा सकता है।
3. तुलसी: तुलसी के पत्तों का सेवन या तुलसी का काढ़ा पीने से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और बुखार कम होता है।
4. धनिया का रस:इसे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
5. मेथी के पत्ते:ये बुखार कम करने में सहायक होते हैं। मेथी के पत्तों का काढ़ा पीने से राहत मिलती है।
डेंगू एक गंभीर रोग है जो उचित सावधानियों और upachar के बिना जानलेवा साबित हो सकता है। Ayurvedic दृष्टिकोण से, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें और मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए उचित कदम उठाएं। प्राकृतिक और Ayurvedic upchar न केवल शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं, बल्कि डेंगू जैसी बीमारियों से बचाव में भी प्रभावी होते हैं।
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