चिकनगुनिया आयुर्वेदिक उपचार

 

चिकनगुनिया आयुर्वेदिक उपचार:🦟🦟🦟🦟🦟

चिकनगुनिया मच्छरों के काटने से होने वाली एक वायरल संक्रामक बीमारी है। जो संक्रमित मच्छरों द्वारा मनुष्यों में फैलती है। चिकनगुनिया बीमारी अर्बोवायरस के कारण होता है, जो की अल्फावायरस परिवार का माना जाता है।

 चिकनगुनिया का प्रसार आमतौर पर दिन के समय में और घर के बाहर होता है। ज्यादातर चिकनगुनिया का प्रसार सुबह तड़के समय में या दोपहर के बाद-रात से पहले होता है, क्योंकि तब के समय मच्छर बहुत ज्यादा सक्रिय रहते हैं।

समान्य रूप से मच्छर के काटने के तीन से सात दिनों के भीतर चिकनगुनिया की शुरुआत हो जाती है। इस वायरल संक्रमण में तेज बुखार और जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द होता है। वैसे तो यह अपने-आप ठीक हो जाता है लेकिन कुछ मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है। इस बीमारी की कोई दवा, वैक्सीन या इलाज नहीं है, बल्कि लक्षणों को टी के आधार पर इसका इलाज किया जाता है।




संक्रमित होने के बाद चिकनगुनिया लक्षण: 

*तेज बुखार,

* मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द, 

*सूजन, 

*सिरदर्द, 

*मतली, 

*थकान,

* त्वचा पर चकत्ते,

 *प्रकाश संवेदनशीलता, 

*गले में खराश, 

*भूख न लगना,

* उल्टी, 

*पीठ दर्द।

 व्यक्ति को संक्रमित होने के 3-7 दिनों के बाद लक्षण दिखाई देते हैं!


चिकनगुनिया में क्या खाना चाहिए?

नारियल पानी -चिकनगुनिया से बचाव और जल्दी रिकवरी के लिए नारियल पानी एक अच्छा विकल्प है। यह आपके शरीर को डिहाइड्रेट नहीं होने देता है और पानी के स्तर को बनाए रखता है।


हरी पत्तेदार सब्जियां - किसी भी स्थिति में हरी-पत्तेदार सब्जियां आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है।चिकनगुनिया में यह बीमारी के लक्षणों से लड़ने और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करती है। यह आसानी से पच जाता है और इनमें कैलोरी की मात्रा भी कम होती है।


पपीते के पत्ते का रस  -चिकनगुनिया में फायदेमंद है। यह ब्लड में प्लेटलेट्स की गिनती को तेजी से बढ़ाता है। विटामिन सी से भरपूर आहार भी फायदेमंद है।



विटामिन सी से भरपूर आहार -आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद करते हैं। चिकनगुनिया में यह आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत सही होता है, साथ ही यह आपके पाचन तंत्र को भी ठीक रखता है। ऐसे में संतरा, कीवी जैसे फल आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।



दलिया - दलिया स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हल्का और हेल्दी डाइट है। यह चिकनगुनिया से ग्रसित लोगों को जल्दी ठीक होने में मदद करता है।

प्राकृतिक जड़ी बूटियां-तुलसी, गाजर, अंगूर आदि को चिकनगुनिया और इससे होने वाले दर्द में काफी राहत पहुंचाने वाला माना जाता है। क्योंकि ये सब प्राकृतिक औषधियां हैं, इसलिए इन्हें आजमाने में कोई हानि नहीं है।




पाउडर और चूर्ण-चिकनगुनिया के इलाज में आयुर्वेदिक चूर्ण इस्तेमाल करने की भी सलाह दी जाती है। योगीराज गुगुलू और सुदर्शन चूर्ण को इस बुखार में काफी उपयोगी माना जाता है। अर्जुन छाल भी इस वायरल काफी लाभदायक मानी जाती है। इसके साथ ही हल्दी, आंवला, लहसुन आदि के पाउडर भी इस रोग से उबरने में सहायता प्रदान करता हैं।


चिकनगुनिया के लिए कौन से टेस्ट किए जा               - आरटीपीसीआर, इम्यूनोफ्लोरेसेंस ऐसेस, और पी.आर.एन.टी। आरटीपीसीआर जीनों को दर्शाता है।         -इम्यूनोफ्लोरेसेंस ऐसेस संवेदनशील होते हैं। पी.आर.एन.टी. विशिष्ट है और सीरोलॉजिक परीक्षण के लिए है। इनका प्रयोग कर चिकनगुनिया की पुष्टि होती hai. - हेमग्ग्लूटिनेशन इन्हिबीशन टेस्ट (Haemagglutination-inhibition tests) काइनेटिक हेमग्ग्लूटिनेशन-निषेध परीक्षणों से चिकनगुनिया के स्ट्रेन को अलग करके निदान करके रोग पुष्टि किया जा सकता है। यह टेस्ट संक्रमण के भीतर 5 से 8 दिनों में परिणाम देता है!

चिकनगुनिया से बचाव : चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कोई टीका नहीं है। चिकनगुनिया से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि आप मच्छरों के काटने से खुद को बचाएं। कीट से बचाने वाली क्रीम का उपयोग करें, लंबी बाजू की शर्ट और पैंट पहनें, और घर के अंदर और बाहर मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएं। चिकनगुनिया से बचने अन्य उपाय इस तरह हैं - • मच्छरों के काटने से खुद को बचाएँ। • मच्छरों को बाहर रखने के लिए एयर कंडीशनिंग या विंडो / डोर स्क्रीन का उपयोग करें। यदि आप अपने घर के अंदर मच्छरों को घुसने से नहीं रोक पाते हैं तो मच्छर-टानी में सोएं।
अपने घर के बाहर कंटेनरों, गमलों, बाल्टियों, गड्डों आदि में रुके/ जमे हुए पानी को खाली करके मच्छरों को पनपने से रोकें। • पूरी बाहों वाले कपडे डालें। हो सके तो पूरे शरीर को ढकने वाले कपडे पहनें। • कीट रेपेल्लेंट्स का उपयोग करें DEET, picaridin, IR3535, और नीलगिरी तेल या पैरा-मेंथेन-डायोल (para-menthane-diol) वाले रोधक दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करते हैं। • यदि आप सनस्क्रीन और कीट से बचाने वाली क्रीम दोनों का उपयोग करते हैं, तो सनस्क्रीन को पहले लगाएं और उसके बाद कीट से बचाने वाली क्रीम का उपयोग करें। • खिड़की के निकट तुलसी का पौधा रखने से मच्छरों को दूर रखने में मदद मिलती है। • अपने आप को हाइड्रेटेड रखें। • कमरे में कपूर जलाने से भी मच्छर दूर रहते हैं।


चिकनगुनिया से ज्यादातर मौत नहीं होती है, लेकिन लक्षण गंभीर और लाचार कर देने वाले हो सकते हैं। ज्यादातर मरीज एक सप्ताह के भीतर बेहतर महसूस करने लगते हैं। कुछ लोगों में, जोड़ों का दर्द महीनों तक बना रह सकता है।


✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ